सिकन्दरपुर, बलिया। अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देकर मनौती पूर्ण करने की गुहार लगाने के लिये आज सायं 4 बजे से ही छठ व्रती महिलाओ की भीड़ छठ घाटों पर उमड़ पड़ी । क्या सामान्य , क्या खास सभी लोग माथे पर पूजा के पकवानों से भरे हुए बांस के दौरी को लेकर छठ घाट की ओर चल दिये । छठ मैय्या की पूजा अर्चना के लिए नगर समेत ग्रामीण क्षेत्रों के घाटों पर रविवार को श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। घाटों पर बजते छठ मैय्या के गीतों के कैसेट से भक्ति का माहौल रहा। श्रद्धालु पूजा सामग्रियों के साथ क्षेत्र की नदी, घाट और पोखरों पर पहुंचे और अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान सभी छठ घाटों पर मेला लगा रहा। सुबह से महिलाएं पुरुष घाटों पर पहुंचने के लिए अपनी तैयारी में जुटे रहे। सायं होते ही नगर क्षेत्र के महिला, पुरुष, युवक-युवती, बच्चे गाजे बाजे के साथ बांस की सुपेली, चंगेरी, नारियल, शरीफा, मौसमी, गन्ना, गंजी, सुथनी, कच्ची हल्दी, मूली, हरा साग, भीगा चना आदि के अलावा तरह-तरह के पकवान जैसे मालपुआ, ठेकुआ, पूड़ी, हलुवा आदि एक दौरा में लेकर घाट पर पहुंची। इस दौरान कई व्रती महिलाओं के पति सिर पर टोकरी में पूजा सामग्री लेकर घाटों की तरफ बढ़ते रहे, जबकि महिलाएं छठी मैय्या का गीत गाते हुए टोलियों में छठ घाटों पर पहुंची। कुछ श्रद्धालु निजी वाहनों से भी कठौड़ा तथा खरीद के घाट तक पहुंचीं। इस दौरान मेले जैसा दृश्य रहा। सायं होते ही व्रती महिलाए अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया और मनौती को पूर्ण करने की आशीष सूर्य देव से मांगी। शाम करीब चार बजे के बाद छठ घाटों की रौनक काफी बढ़ गयी है। व्रती महिलाओं ने अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की और घाट पर छठ माता की प्रतिमा की पूजा कर शीश नवाया। कुछ मनौती माने श्रद्धालु तो मार्ग पर लेटते हुए घर से घाट तक पहुंचे। सूर्य षष्ठी व्रती महिलाओं ने सायंकाल अस्त हो रहे भगवान भाष्कर को अर्ध्य दे परिवार के मंगल सुख समृद्धि पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की। अपराह्न लगभग तीन बजे से व्रती महिलाएं डाला सुपेली में सजाए गए पूजा के सामान नारियल, फल, हल्दी, अदरक, गाजर, शरीफा, गंजी, सुथनी, नीबू साठी, चावल, अबरक, मूली, बोड़ा, बंडा, ठेकुआ, आटा से बनाए गए सूर्य चंद्र गन्ना आदि के साथ छठ मईया के मंगल गीत ढोल-ताशा बैंड बाजा के साथ छठ घाट पर पहुंचे। सुरक्षा की दृष्टिकोण से थानाध्यक्ष दिनेश पाठक व चौकी प्रभारी रवींद्र पटेल अपने हमराहियों के साथ लगातार हर छठ घाट का चक्रमण करते रहे।