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मनाई गई परशुराम जयंती, विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन

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रिपोर्ट: विनोद कुमार

सिकन्दरपुर, बलिया। पी0 डी0 इण्टर कॉलेज के सभाकक्ष में आचार्य चाणक्य जयन्ती के अवसर पर 'वर्तमान लोक और तंत्र में आचार्य चाणक्य के विचारों की प्रासंगिकता' विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शिक्षाविद डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने कहा कि जिस तरह से पाणिनि के संस्कृत व्याकरण अष्टाध्यायी ने पूर्व प्रचलित समस्त व्याकरण की पुस्तकों का लोप कर दिया उसी भांति राजनीति शास्त्र के सर्वकालिक महान ग्रंथ अर्थशास्त्र की रचना करके आचार्य चाणक्य ने पूर्व में स्थापित  मनु ,शुक्र व भीष्म के राजनय के समक्ष एक बड़ी रेखा खींच दी।लोक व्यवहार के जो मानक निर्धारित किए वो आज भी पूर्णतः प्रासंगिक हैं जैसे सप्तांग सिद्धान्त के अंतर्गत स्वामी,अमात्य,जनपद,पुर ,कोष,दण्ड तथा मित्र की विशद व्याख्या की तथा बताया कि येषां न विद्या न तपो न दानम न ज्ञानमन शीलम न गुणो न धर्म: ,ते मर्त्य लोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।व्यक्ति के कर्तव्य,राजा के कर्तव्य,सेना का कर्तव्य जो उन्होंने निर्धारित किया आज भी उनकी उपयोगिता सम्पूर्ण संसार निर्धारित करता है।उसी प्रकार तंत्र हेतु षाड्यगुण्य सिद्धान्त के अंतर्गत संधि,विग्रह ,आसान ,यान,संश्रय ,द्वैधी का सिद्धांत दिया जो राजनय हेतु आज भी उतना ही प्रासंगिक है।अपने मण्डल सिद्धांत के अंतर्गत जिन बारह राज्यों का वर्णन  आचार्य विष्णुगुप्त कौटिल्य ने किया है उन्हें आज भी यथावत देखा जा सकता है।चार उपाय साम,दाम,दण्ड ,भेद आज भी प्रत्येक व्यक्ति कहीं न कहीं व्यक्त कर ही देता है।


चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाकर अखण्ड भारत का स्वप्न साकार करने वाले तक्षशिला के आचार्य चाणक्य ने धर्म से राजनीति की अलग व्याख्या भले ही किया लेकिन एक आदर्श राज्य के निर्माण हेतु उन समस्त तत्वों का समावेश किया जिन्हें आज भी विश्व का प्रत्येक विद्वान स्वीकार करता है।यदि आज किसी भी राष्ट्र को लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप देना है तो उसे आचार्य चाणक्य की नीति को स्वीकार करना ही होगा क्योंकि वो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।


जितना उस कालखण्ड में थे।गोष्ठी को सर्वश्री पुष्कर राय,बड़ेलाल यादव,विशाल सोनी,भोला सिंह,राजू यादव,राहुल गुप्ता ,अखिलेश यादव,शुभम राय ,रितेश वर्मा,कृष्णानन्द,अविनाश ,राकेश तिवारी, आशीष मिश्रा,राजमंगल भारती,नीरज मिश्र,आशुतोष पटेल आदि ने सम्बोधित किया।अध्यक्षता राधेश्याम यादव  व संचालन दुर्गेश राय ने किया।अंत मे समस्त आगन्तुकों के प्रति संस्था के प्रधानाचार्य विशाल सोनी ने आभार व्यक्त किया।


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